Karm Hi Pooja Hai Hindi Anuched

Karm Hi Pooja Hai Hindi Anuched : कर्म ही पूजा है | कर्म से मनुष्य धन, यश, वैभव आदि सभी पा सकता है | जो व्यक्ति अपने कर्म को पूजा समझते है वे विपरीत परिस्थितियों में भी निराश व हताश नहीं होते अपितु उठ खड़े होते है, कमर कस लेते है समस्त रुकावटों को दूर करने के लिए और उनका यही आत्मविश्वास उनको सफल बनाता है | गीता में भी कहा गया है कि ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते, मा फलेषु कदाचन: Karm Hi Pooja Hai Hindi|’
कर्म ही पूजा है |
                        कर्म ही पूजा है |
“अपने कर्म को सलाम करो, दुनिया सलाम करेगी ,
यदि कर्म को दूषित रखोगे, तो हर किसी को सलाम करना पड़ेगा  |”
– Dr APJ Abdul Kalam
जिस प्रकार पूजा, अर्चना व ध्यान से ईश्वर को पाया जा सकता है उसी प्रकार कर्म की पूजा करके सफलता को पाया जा सकता है | सफलता किसे नहीं अच्छी लगती ? सफल होने की ख्वाहिश तो हम सभी रखते है और सफल होना कोई असंभव चीज भी नहीं है लेकिन जिस तरह जमीन पर खड़े होकर केवल पहाड़ देखते रहने से चढ़ाई नहीं हो सकती, उसी तरह बिना कर्म के सफलता नहीं मिल सकती |
यह बात भी सच है कि सफलता का परचम ‘कर्म ही पूजा है’ के मूलमंत्र को आत्मसात करके ही फहराया जा सकता है | इसका ज्वलंत उदाहरण भारतीय उद्योग जगत में क्रांति लाने वाले लक्ष्मी निवास मित्तल, रतन टाटा, आदि है | आखिर ये लोग क्यों और कैसे पहुंचे सफलता के शिखर पर ? ? …….. क्योंकि उनकी मान्यता थी कि ‘ काम ही पूजा है’ यानि ‘Work is workship’.
उद्योगपुरुष श्री धीरुभाई अम्बानी का उदाहरण लिया जा सकता है जिन दिनों वे खाड़ी के देश में एक पेट्रोल पंप पर नौकरी करते थे, तब उनके मन में आया कि वह भी ‘शैल’ जैसी एक कंपनी बनाएँगे और अपनी इसी सोच को अमलीजामा पहनाने के लिए उन्होंने ‘कर्म ही पूजा है’ के मूलमंत्र को आत्मसात किया |
“यदि आप दृढ़ – संकल्पऔर पूर्णता के साथ काम करेगे तो सफलता जरुर मिलेगी |”
– धीरूभाई अंबानी
आज जिस निरमा डिटर्जेंट पाउडर का इस्तेमाल घर – घर में होता है उसे बनाने वाले  करसन भाई  पटेल अपने कार्य की शुरुआत मात्र एक हजार रुपए से की थी और यह छोटी सी पूजीं भी उन्होंने अपने मित्रों और सम्बंधियो से उधार ली थी | वे डिटर्जेंट पाउडर खुद ही बनाते और उसे बेचने के लिए साइकिल से गली – गली घुमते | उनको अपने काम पर दृढ विश्वास था या ये कहें कि उन्होंने अपने कर्म को सलाम किया जिसका नतीजा था कि उनका निरमा हाथों – हाथ बिकने लगा और आज उन्हें पूरी दुनिया सलाम करती है | ऐसे एक नहीं बल्कि हजारों उदाहरण देश – विदेश में जगमगा रहे है |
जरुरी नहीं कि सफलता केवल business या पैसा कमाने में ही प्राप्त की जा सकती है | मेरा तात्पर्य है कि कोई व्यक्ति जीवन के किसी भी क्षेत्र में तभी सफल कहलाएगा जब वह अपनी बहुमुखी प्रतिभा से समाज का मार्गदर्शन करता है | यह सफलता धन सम्पति या  अध्यात्मिक दोनों ही क्षेत्रों में हो सकती है | लेकिन लाख टके का सवाल वही का वही है कि सफलता आखिर प्राप्त कैसे होगी ? दोस्तों इसके लिए हमें अपनी सोच या नजरिए को बदलना होगा | कर्म तो हम सभी करते है लेकिन  सफलता कुछ को ही प्राप्त होती है | तो इसमें अंतर केवल सोच या नजरिए का ही है |
कहते है कि
‘ नजरे जो बदली तो नजारे बदल गए ,
 किस्ती ने रुख मोड़ा तो किनारे बदल गए | ’
तो क्यों न हम भी अपना नजरिया काम के प्रति बदले |
‘Worship’ शब्द वास्तव में सम्पूर्णता के उसी ताने – बाने को प्रतिबिम्बित करता है जिसको दार्शनिक शब्दजाल में लपेटकर न पेश किया जा सकता है और न ही उसके मर्म का खुलासा | Dr APJ Abdul Kalam जी का जीवन इस बात का प्रमाण है कि कर्म मनुष्य के जीवन का आधार है | कर्म से ही मनुष्य पहचाना जाता है और कर्म ही मनुष्य की छवि समाज के सम्मुख बनाए रखते है | यदि मनुष्य काम की पूजा करता है तो ही उसे समाज में आदर व सम्मान प्राप्त होता है | कर्म को पूजा मानने वाला मनुष्य ही मानवता का कल्याण करने में समर्थ और सफल होता है |
जब आप किसी कार्य को पूज्य भाव से करते है तो आपका ध्यान फालतू की चीजों की तरफ नहीं भटकता है | आप अपने काम को पूरी तल्लीनता से करते है और काम के प्रति यही तल्लीनता ‘कर्म ही पूज्यते’ के मर्म को अंगीकार करता है |
अपने अच्छे व्यवहार और कर्म में तल्लीन लक्ष्य पर निगाह रखने वाले दुनिया के तमाम पुरुषों और महिलाओं के लिए कार्य ही पूजा का आधार रहा है | महात्मा गाँधी, स्वामी विवेकानंद और मदर टेरेसा को इस श्रेणी का अनुपम उदाहारण माना जा सकता है | मानव कल्याण का बेहतरीन मिसाल बने इन शख्सियतों ने साबित कर दिया कि काम ही श्रेष्ठ है और पूज्य भाव उसका मर्म |
सफलता का परचम फहराने के लिए‘ काम ही पूजा है ’ के मूलमंत्र को अपनाना कार्य के प्रति आपका नजरिया, आपके attitude को भी दर्शाता है | काम को पूजा मानकर कोई भी व्यक्ति सफलता की सीढियाँ चढ़ता चला जा सकता है | इसलिए जब तक आप 100 प्रतिशत अपनी शक्ति काम ही पूजा है कि भावना को विकसित करने में नहीं लगा देते तब तक सफलता का परचम फहराना मुश्किल होगा |
सही मायने में सफलता तभी मिलेगी जब आप अपने काम को पूज्य मानते हुए उसे उसी निष्ठा और पवित्रता से अंजाम देना शुरू करे जैसा कि आप अपने किसी धार्मिक कार्य को करते है | तब ही आपके काम का परिणाम सफलता के सोपान को लांघता दिखाई देगा | Dr APJ Abdul Kalam का मानना था कि मात्र काम को अंजाम देने के मकसद से या shortcut से काम करने वालों का हश्र क्या होता है यह आप बखूबी जानते है | समर्पण भाव से कर्म करना एक प्रकार का कौशल है |
इस कौशल में जो निपुण है उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है | दोस्तों ! हमेशा याद रखे कि जो व्यक्ति अपना काम करने में ईमानदार तथा कुशल है, उसके लिए सफलता के मार्ग में कोई रुकावट नहीं आ सकती | लेकिन जो व्यक्ति अपने काम से मन चुराता है, काम को टालता रहता है, आज का काम कल पर टाल देता है, वह कभी सफलता नहीं पा सकता | अगर आप अपने काम को पूजा मानकर करेंगे तो आपके जीवन से खुशियों के रूप में सफलता ऐसे कदम रखेगी जैसे कि सुबह की उजली किरण |

Comments

Popular posts from this blog

Essay On information about Ideal Citizen in Hindi

चरित्र बल पर निबंध | ESSAY ON CHARITRA BAL IN HINDI